कश्मीर से सिर्फ कश्मीरी पंडित भागे,
पर पश्चिम बंगाल से पूरे के पूरे हिन्दू ही।
ममता बनर्जी जो कि शायद चुपके से मुस्लिम धर्म को अपना चुकी है , उसने पश्चिम बंगाल के उन इलाकों में इंटरनेट सेवा भी बंद करवा दी जहाँ दंगे हुए है। मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के कई घर और दुकान जला देने के बाद न तो पुलिस ही उनकी बात सुनती है और न ही कोई अन्य प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। पुलिस कहती है कि जब तक ऊपर से आदेश नही मिलता तब तक वो कुछ नही कर सकते।
वाह रे वाह! लोकतंत्र की तीसरी स्तम्भ कहलाने वाली कार्यपालिका भी इन अनपढ़ और गुंडे नेताओ के हाथों की बस कठपुतली ही बनकर रह गई है। जब तक ऊपर(नेताओ) से आदेश न मिले, तब तक ये जनता क्या अपनी भी सुरक्षा नहीं कर सकते।
थू है ऐसे लोकतंत्र पर, जहां लोग अपनी जान की सुरक्षा की भीख मांगते रह जाए और पास खड़ी पुलिस ऊपर से मिलने वाले आदेश के इन्तजार में मूक दर्शक बन सिर्फ तमाशा ही देखते रह जाए।
#इंटरनेट बन्द करने के पीछे भी बहुत बड़ी वजह है।
और वो यह नही है कि मुमताज(बदला हुआ नाम) पश्चिम बंगाल में होने वाली हिन्दू-मुस्लिम दंगो को शांत करना चाहती है, बल्कि यह है कि वो हिंदुओं द्वारा स्वयं पर मुसलमानो द्वारा हो रहे अत्याचार को इंटरनेट या सोशल मीडिया के माध्यम से जग-जाहिर नही करना चाहती। प्रशासन और मीडिया की निष्ठरता के बाद पीड़ित जनता सोशल मीडिया का ही रुख करती है और ऐसी परिस्थिति में सरकार द्वारा इंटरनेट पर लगाई गई पाबंदी या तो उसकी नाकामी को ही प्रदर्शित करती है या फिर वो घट रही घटनाओ के समर्थन में है।
मैं भी हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्ष में हूँ पर मेरे या आपके चाहने या न चाहने से क्या होता है। यहां होता वही है जो नेता चाहते है। आज का भारतीय लोकतंत्र अपना महत्त्व खोता जा रहा और "लोकतंत्र" से "नेतातन्त्र" बनने की ओर अग्रसर है या यूं कहें कि बन चुका है।
वो समय अब दूर नही जब भारत तानाशाहों का देश होगा औऱ वो तानाशाह कोई और नही बल्कि हमारे देश के यही चन्द नेता होंगे। कथा और कहानियों में तो आपने पढ़ा ही होगा कि कलियुग के अंत के साथ ही भट्युग का प्रारंभ होगा। मुझे अब ये सारी बातें बिल्कुल सच्ची लगने लगी है। पूरे विश्व में न सही पर भारत में तो इस युग की शुरुआत तो हो ही चुकी है।
#स्वयं_राज