स्वर्ण मंदिर (वेल्लोर) |
जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा दुनिया की सबसे बड़ी स्वर्ण मंदिर वेल्लोर का श्री लक्ष्मी नारायणी मंदिर है।
आज भी ज्यादातर लोगों में ये भ्रांति है कि दुनिया की सबसे बड़ी स्वर्ण मंदिर अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है पर यह बात पूर्णतः गलत है। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर मात्र 7500 kg सोने का बना है परंतु वेल्लोर का स्वर्ण मंदिर 15000 kg शुद्ध सोने का बना है, एकदम दोगुने सोने से।
वेल्लोर, तमिलनाडु राज्य का एक जिला है जहाँ अनेको ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल है। परन्तु वेल्लोर तो किसी और ही कारण से पूरे विश्व मे जाना जा रहा है, वह है यहाँ की अत्याधुनिक और सस्ती चिकित्सीय व्यवस्था और अच्छे डॉक्टर। पूरे भारत देश के कोने-कोने से ही नही बल्कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी लोग यहाँ सबसे अच्छा और सबसे सस्ता इलाज कराने आते है और तो और पश्चिमी देशों से भी कई लोग यहाँ इलाज कराने आते है। और इसकी वजह से तमिलनाडु का पर्यटन उद्योग भी फल-फूल रहा है। यहाँ का सबसे बढ़िया अस्पताल है "C.M.C.H" यानि की Christian Medical College and Hospital। आप यह भी कह सकते है कि वेल्लोर CMCH की अच्छी चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध है।
मैं भी स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं लेकर चिंतित रहा करता था और पढ़ाई से अपना ध्यान भटकता देख अपने पापा को वेल्लोर चलने को कहा। अथक प्रयासों के बाद वो तैयार हुए अंततः मैंने उसी दिन ऑनलाइन डॉक्टर की appointment ली और वेल्लोर जाने और वापसी का टिकट भी ऑनलाइन ही बुक कर लिया। चूँकि बिहार से वेल्लोर 1-2 ट्रेन ही चलती है और वह भी साप्ताहिक और डॉक्टर भी सप्ताह में दो ही दिन इस अस्पताल में मरीजो को देखता था अतः मैंने appointment एक महीने के बाद की ली। मेरी ट्रैन संघमित्रा एक्सप्रेस 17 नवंबर को पटना से थी। मैं अपने पापा के साथ स्टेशन समय से काफी पूर्व ही पहुँच गया और काफी इंतजार के बाद ट्रेन अपने समय पर आई। हमें confirm seats तो नही मिली परन्तु RAC (Reservation Against Cancellation) सीट मिल गई। सौभाग्य से मेरे और पापा की RAC सीट एक ही थी वरना सोते वक्त एक सीट को किसी अजनबी के साथ साझा करना कितना कष्टदायी होता है, खासकर जब सामने वाला व्यक्ति खाते-पीते घर का हो। मैंने और पापा ने अपनी सीट खोजकर उसे ग्रहण किया। कुछ ही समय मे ट्रैन अपने गंतव्य स्थान की ओर निकल चुकी थी। माँ ने जाते वक्त सत्तू की लिट्टियाँ बनाकर दे दी थी परंतु यात्रा के दूसरे दिन सवेरे तक ही वो सारी लिट्टियाँ समाप्त हो चुकी थी। खट्टे-मीठे पलों के साथ हमने अपनी यात्रा लगभग 46 घण्टो में पूरी की।